दोस्ती

हैप्पी फ्रेंडशिप डे 

 सभी को

फ्रेंडशिप डे के किस्से अक्सर स्कूल टाइम से सबसे ज्यादा जुड़े होते हैं जिन्हें हम सभी याद कर मुस्कुरा देते हैं।
जब मैं छठी क्लास में थी उस वक्त फ्रेंडशिप डे से 1 दिन पहले बस दिल दिमाग एक ही चीज सोचता रहता था कि कल किसके हाथ में सबसे सुंदर और सबसे ज्यादा फ्रेंडशिप बैंड बंधे होंगे ।
इसी उत्सुकता में कि कल क्या होगा मुझे कौन बांधेगा क्या सबसे ज्यादा बैंड मेरे हाथ में होंगे अगर उस प्रिया के हाथ में ज्यादा बैंड बंध गए तो मुझे बहुत बुरा लगेगा। उससे ज्यादा दोस्त है मेरे।  (शायद नहीं)
बस यही दिमाग में चलता रहता और रात भर ऐसे ही करवट बदलते काट दिया करती थी जैसे ही सुबह होती, वो जो आलस हर रोज आता था ना, ओर दिनों उठकर स्कूल जाने में, फ्रेंडशिप डे वाले दिन गायब हो जाया करता था। (सच में)
क्योंकि वे चमकते बैंड उस वक्त सबसे कीमती होते थे। जिसके पास सबसे ज्यादा होते वही हीरोइन हुआ करती थी।(क्लास की)
जैसे ही स्कूल पहुंचते थे आंखों में लालच भर, सब की ओर देखना होता था कौन मुस्कुरा रहा है कौन बैग में बार-बार हाथ डाल अपने खरीदे हुए बैंड को देख रहा है उस दिन टीचर के पढ़ाने का कुछ  भी मतलब समझ ही नहीं आता था।
बस इंतजार रहता था कि कब आधी छुट्टी की घंटी बजे, (इंतजार और दिनों पर रहता था आधीछुट्टी का पर बस बाहर से एक रुपए की इमली लाकर खाने का )लेकिन बैंड के लालच में इमली तक को भी सब भूल जाया करती थी,  आधीछुट्टी की बेल की आवाज आई टन टन टन टन और सब के कान खड़े हो जाते बस फिर क्या था फट से हाथ बैग में गए और निकले रंग-बिरंगे चमकदार फ्रेंडशिप बैंड्स उन्हें देखते ही जो सुकून मिलता था (आज उसकी जरा कमी लगती है)

बस फिर क्या था एक दूसरे को खींच खींच कर उनके हाथ पकड़कर जब बैंड बांधने का खेल शुरू होता था ना तो फिर पूरी छुट्टी तक चलता था तूने मुझे नहीं बांधा दोस्त नहीं है क्या तू मेरी चल बैंड बाद मुझे (जबरदस्ती भी बैंड बंधवाए जाते थे )ताकि हाथ ज्यादा सुंदर और भरा हुआ दिखे। (बस भरे हुए हाथ दिखाना ही तो फ्रेंडशिप डे का मतलब हुआ करता था) जब पूरी छुट्टी होने वाली होती थी सबके हाथों को देखकर यह सोचा जाता था किसके पास सबसे ज्यादा बैंड हैं और बस उसी खुशी में घर लौटते ही मम्मी देखो मुझे क्लास में सबसे ज्यादा बैंड बंधे है सबसे ज्यादा दोस्त है मेरे पास। (यह बोलकर कर गर्व 😏महसूस होता था)  वह खुशी ना जाने कितने दिन तक वैसी ही बरकरार रहती थी ।
ऐसे ही कुछ सालों तक चलता रहा जब बड़ी क्लास में पहुंचे तो देखा कि अब बैंड बांधना कम पसंद करते हैं अब लोग आपस में एक दूसरे को हैप्पी फ्रेंडशिप डे हैप्पी फ्रेंडशिप डे टू यू कहकर इस दिन को यूंही टाल दिया करते थे पहले अजीब लगा पर ठीक है जहां रहे वही की आदत हो गई।

अक्सर जब भी छठी क्लास को याद करती हुं। तो
आज जो हो रहा है उसे देख अफसोस होता और थोड़ा बुरा भी लगता था। कि आज कोई भी उत्सुक नहीं लेकिन सच तो यह है तब सिर्फ मेरी उत्सुकता दोस्ती के लिए नहीं चमकते फ्रेंडशिप बैंड के लिए होती थी।

उस वक्त सब कुछ अच्छा लगता था क्योंकि मेरी चाहत दोस्ती निभाना नहीं होती थी बल्कि ज्यादा से ज्यादा फ्रेंडशिप बैंड को इखट्टा करना होती थी। सिर्फ बैंड ...
एक सच्चा दोस्त क्या होता है तब शायद उस चमक के आगे बढ़ मैंने कभी सोचा ही नहीं। वक्त के साथ-साथ बहुत चीजें बदली और मुसीबतें भी आई तब बिना बैंड होते हुए भी मेरे दोस्तों ने मेरा साथ दिया । बचपन में बैंड से ही दोस्ती शुरू होती थी और बैंड पर ही खत्म। आज मेरी दोस्ती बिना बैंड की है और ना ही मुझे आज उस चमक का लालच।
जब आपको अपनी जिंदगी का सबसे अच्छा दोस्त मिल जाता है ना, आपकी लाइफ बहुत संभली और सुलझी हुई हो जाती। एक दोस्त की जगह जिंदगी में कोई भी नहीं ले सकता हैप्पी फ्रेंडशिप डे चमकदार बैंड के लिए नहीं सच्चे दोस्त के लिए।😘

Ⓒvineeta

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