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Showing posts from August, 2020
अफसोस अफसोस होता है मुझे की उनको अपनी जिंदगी का हिस्सा बनाया कि उन्हें अपने दिल का हर किस्सा सुनाया। की उन्हें ख्वाबों से दूर हकीकत में सजाया कि जमाने से दूर छिपाकर अपने दिल में बसाना। कि खुद को इस कदर मजबूर कर लिया मैंने की आंखें बंद हो या खली चेहरा सिर्फ उसी का नजर आया। कि आज उलझन में हूं कुछ इस कदर कि तेरे साथ होने का जिक्र करूं किसी से या तेरे जाने का अफसोस। कि अक्सर तेरी बातों को याद कर मुस्कुरा दिन तो काट लिया करती हूं कि रात की गहराई फिर सिकुड़ जाते हैं ये लब हर रोज। कि वो कहता था मैं नहीं औरों जैसा कद्र करता हूं तेरी कि मैं भी सुन शर्मा दिया करती थी मांगी मुराद हो तुम मेरी। कि जब भी तन्हा सी हो उसके कंधे पर सर रखती थी कि वो सर  सहला दिया करता माथे को चुम दिल बहला दिया करता था कि वह मेरी फिक्र कुछ इस कदर दिखा दिया करता था कोई और छु ना ले मुझे उसे दूर से ही हटा दिया करता था कि मोहब्बत कम नहीं थी उसकी कि गुस्से से देख आंखों से समझा दिया करता था कि समझ नहीं आता अब मुझे तेरे संग बीते लम्हों की नुमाइश करूं कि तेरे जाने का अफसोस। Ⓒvineeta
  कुछ वक्त और   काश कुछ वक्त और मिलता तो तुम्हें अपने दिल का हाल सुनाते इस भागती सी, दुनिया से दूर चल अकेले में कहीं तुम संग, बैठ जाते। काश कुछ वक्त और मिलता तो इन हसीन बादलों के साथ घुम आते ख्वाहिशों से सजी माला के कुछ और, मोती बिखेर  पाते। काश कुछ वक्त और मिलता तो बहुत सी शरारती कर जाते वो जो अधूरी रह गई थी ना, बचपन में कहीं तेरे संग फिर से दोहराते। काश कुछ देर और ये वक्त यूं ही चलता रहता तो, ये कहानी हम पूरी कर पाते। Ⓒ vineeta

जाना

मानती हूं मेरी मोहब्बत जिद्दी है  पर जाना तू भी तो कुछ कम नहीं बात बात पर मुझसे लड़ जाना मुंह बना घर से बिन बोले निकल जाना जानते हो तुम्हारे जाने से कितना डरती हूं एक सेकेंड के लिए भी दरवाजे के आगे से नहीं हटती बस जल्दी से घर आ जाओ ना मुझसे गुस्सा हो तो मेरे संग है उसे मुझ पर उतारो नहीं देती मैं किसी और को मेरे अलावा हक के तुम्हारे गुस्से तक का भी कोई हकदार बने मना लूंगी तुझे थोड़ा वक्त लगता है कोई छीन ना ले तुझे सोच डर लगता है तेरे घर वापस आने तक ना जाने किन किन ख्यालों से मेरा वक्त कटता है जैसे ही दरवाजे की घंटी बजती है धड़कन जैसे तेज हो उठतीहैं बस चेहरा देखा नहीं कि तेरा आंखें लबों को सील सब बोल जाती है माना मेरी मोहब्बत जिद्दी है पर जाना तू है तो मेरी जिंदगी है Ⓒvineeta
 महफिलें रोज सजती है महफिले मयखाने मैं बदल कर, जब चढ़ती है होठों पर हंसी प्यालो में भरकर। आंखों में एक लाली सी भर जाती है, जब लबों से गले में ये घूंट- घूंट उतर जाती है। सारी परेशानियों को पल भर में दूर करती है, महफिलों को रंगीन बना कर अपने में ही मगरूर रखती है। फसलों को कम करने का वहम ये भरती है, हकीकत में ये फसलों को तय करती है। रूप बदल बदल कर बड़ा ही इतराती है, महफिलों को मयखाने में जब-जब बदल जाती है। कहानी आंखों से यह चुपचाप बह जाती है, जब-जब महफिलों में ये रोज सज जाती है। ⒸVineeta