कुछ वक्त और
काश कुछ वक्त और मिलता
तो तुम्हें अपने दिल का हाल सुनाते
इस भागती सी, दुनिया से दूर चल
अकेले में कहीं तुम संग, बैठ जाते।
काश कुछ वक्त और मिलता
तो इन हसीन बादलों के साथ घुम आते
ख्वाहिशों से सजी माला के
कुछ और, मोती बिखेर पाते।
काश कुछ वक्त और मिलता
तो बहुत सी शरारती कर जाते
वो जो अधूरी रह गई थी ना, बचपन में कहीं
तेरे संग फिर से दोहराते।
काश कुछ देर और ये वक्त
यूं ही चलता रहता तो,
ये कहानी हम पूरी कर पाते।
Ⓒ vineeta
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